Guru Ka Gyaan किसी गांव में नदी के किनारे एक गुरु का आश्रम था। वहा गुरुजी अपने बहुत सारे शिष्यों के साथ रहते थे।
गुरुजी के सभी शिष्य बहुत आज्ञाकारी थे। गुरु की किसी बात को नहीं टालते थे। गुरुजी जी काम कहते, उस समय पर पूरा करते थे।
गुरुजी रोज़ शाम को अपने सभी शिष्यों को एक जगह एकत्रित कर प्रवचन देते थे। रोज़ एक नई बात बताते थे। सभी शिष्य गुरुजी की हर सीख को सही मान लेते और की सवाल नहीं करते।
परंतु एक शिष्य विचित्र था। उस हमेशा हर बात में कोई ना कोई कमी निकालने की आदत थी। वह हमेशा गुरुजी की बात को काटने का प्रयास करता था।
एक दिन शाम को जब गुरुजी प्रवचन दे रहे थे तो गुरुजी ने कहा, जब भी हम मुसीबत में होते है तो भगवान हमारी सहायता के लिए जरूर आते है, और हमारे बचाते है।
सभी शिष्य गुरुजी की बात से सहमत थे लेकिन उस एक शिष्य के मन में ये बात अब भी चल रही थी। वह सोच में डूबा हुआ था कि क्या सच में भगवान हमारी सहायता के लिए आते है। उसने फिर फिर से गुरुजी से पूछा। गुरुजी को समझ नहीं आ रहा था कि इसे कैसे समझाया जाए। यह अवश्य किसी ना किसी मुसीबत में पड़ जाएगा।
लेकिन अब गुरुजी भी क्या करते, वह किसी की बात नहीं सुन रहा था।
सोचते सोचते वह जंगल की ओर निकल पड़ा। वहा बहुत सारे लोग थे। सबने उस रोका आगे मत जाओ, आगे जंगली हाथियों का झुंड है।
मगर उस कहने का कोई फायदा नहीं। वो उस सब से बोला मुझे भगवान बच लेंगे। और आगे चला गया।
कुछ ही देर बाद एक हाथी उसके पीछे बहुत तेज़ी से दौड़ा आ रहा था। लोग उसे कह रहे थे सामने से जाओ। ये हाथी तुम्हे मार देगा। लेकिन वो नहीं हटा। और हाथी ने उसे हवा में उछाल दिया।
अब वो अपने इस सवाल का जवाब भगवान से ही मांगना चाहता है। जैसे ही वह भगवान के आपस पहुंचा तो उसने जाते ही भगवान से पूछा की गुरुजी ने कहा था आप सबकी मदद करते है। भगवान जी ने कहा हां, करते है।
तब उसने पूछा आपने मेरी मदद क्यों नहीं की, तब भगवान जी बोले कि मैंने तो कहा था तुम्हे हट जाओ हट जाओ, लेकिन तुम नहीं हटे वहा से। उसने पूछा आपने कब कहा मैंने तो नहीं सुना।
तब उसने पूछा आपने मेरी मदद क्यों नहीं की, तब भगवान जी बोले कि मैंने तो कहा था तुम्हे हट जाओ हट जाओ, लेकिन तुम नहीं हटे वहा से। उसने पूछा आपने कब कहा मैंने तो नहीं सुना।
भगवान जी को उस पर हसी आ गई और बोले सुनो वहा जितने लोग थे वो सब तुमसे कह रहे थे सामने से हट जाओ। तुमने उनकी बात नहीं सुनी। हर चीज में मैं हूं, पेड़ पौधे, जीव जंतु, मनुष्य हर जगह। और उन्हीं के जरिए मैं सबकी मदद करता हूं।
इसीलिए कहते है किसी कि बात को अनसुना नहीं करना चाहिए क्या पता कौन कब काम आ जाए।Guru Ka Gyaan
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें