आम का पेड़ दुलारी काकी के घर में एक बड़ा सा आम का पेड़ है। जिसपे बहुत मीठे मीठे आम लगते है। मगर दुलारी काकी किसी को भी आम तो दूर पेड़ भी छूने भी देती है। सब बहुत देते है काकी से।
हम सब बच्चे मिल कर खेल रहे थे चौक पर, खेलते खेलते सबकी भूख लग आई, सामने मीठे रसीले आम दिख रहे है। लेकिन काकी के डर से उन आम तक पहुंचना नामुमकिन है।
अरे! राहुल वहा मत जा, काकी ने देखा तो अच्छा नहीं होगा। लेकिन राहुल को तो भूख में आम के सिवा कुछ नहीं दिख सुन नहीं रहा है। और देखते ही देखते राहुल दीवार कूद के पेड़ पर चढ़ गया। और वही बैठ के मीठे रसीले आम का आनंद लेने लगा।
दुलारी काकी सब्जी लेके घर में आई, और देखा कोई बच्चा पेड़ पर बैठा आम खा रहा है। काकी गुस्से में लाल हो गई। आज नहीं छोडूंगी इसे, आने दो नीचे इसके मां- बाप से शिकायत ना की तो मेरा नाम भी दुलारी नहीं। देखो तो ज़रा कैसे मज़े से मेरे आम खा रहा है। जिन आम को आज तक मैंने नहीं तोड़ा उसे हाथ कैसे लगाया उसने।
दुलारी काकी की कोई संतान नहीं है। पति भी छोड़ कर चले गए थे। तब से बेचारी अकेले रहती है। इस आम के पेड़ को अपने बच्चे की तरह की पाला है काकी ने। भला कैसे किसी को तोड़ने देंगी वो आम। इसीलिए हमेशा उखड़ी उखड़ी रहती है। कॉलोनी वालो से भी ज्यादा बनती नहीं काकी की। काकी बहुत ही साफ दिल की है। जो भी दिल में होता ह वहीं जुबान पे भी। लोगो को सच सुनने की आदत नहीं होती ना, इसीलिए सब काकी से दूर ही रहना पसंद करते है।
काकी से रहा नहीं गया, राहुल से कहने लगी अरे लड़के नीचे आ, किससे पूछ के खाने लगा है तू मेरे आम, मां बाप ने कुछ सिखाया नहीं तुझे दूसरो के घर में ऐसे नहीं घुसा करते। राहुल कहने लगा अरी काकी एक दो आम ही खाए है। क्या मरती हो दो आम के लिए। खाने दो ना, लो तुम खाओ बहुत मीठे है।
काकी ने पहले राहुल को यहां कभी नहीं देखा था। क्यूंकि वो लोग कुछ दिन पहले ही नए आए थे कॉलोनी में। फिर काकी ने कहा तू नीचे आता है कि नहीं य बुलाऊ तेरी मां को।
मां का नाम सुनते ही राहुल झट से नीचे आ गया। काकी राहुल का काम पकड़ के उसकी मां के पास ले गई। कहने लगी देख री अपने लड़के को मेरे घर में घुस के आम चुरा रहा था। राहुल की मां ने सुनते ही आव देखा ना ताव, रोटी बना रही थी गरम चिमटा राहुल को जोर से मार दिया।
राहुल बहुत रोने लगा। अब काकी को बहुत गुस्सा आ गया राहुल की मां पे। काकी ने कहा कैसी मां है रे तू अपनी औलाद को भला कोई ऐसे मारता है। लानत है तुझ पे, तुझे क्यों भगवान ने संतान दी। ममता नहीं है तुझमें, राहुल से पूछा काकी ने, क्यों री रोज़ मरती है क्या तुझे। तुझे प्यार नहीं करती क्या।
राहुल ने कहा ये पिंकी और रानी की मां है मेरी मां तो ऊपर है भगवान के पास। ये मुझे प्यार क्यूं करेगी। काकी की आंखो में आंसू आ गए। काकी ने राहुल को बोला चल री तू मेरे साथ, और राहुल को अपने साथ बाहर के आई।
बाहर आने के बाद काकी राहुल से रास्ते में पूछने लगी तू आम क्यों खा रहा था तुझे डर नहीं था कोई देखेगा तो क्या होगा। राहुल ने कहा वो मुझे बासी रोटी देती है। रानी और पिंकी को घी के पराठे देती है। मैं बासी रोटी गाय को खिला देता हूं। कभी ज्यादा भूख लगती है तो थोड़ी बहुत खा लेता हूं।
काकी ने कहा चल मेरे साथ म तुझे पराठे खिलाऊंगी। राहुल ने पूछा सच?? आप मुझे खिलाओगी पराठे। काकी बोली हां जो तू कहेगा सब खिलाऊंगी तुझे। आज मानो जैसे काकी की सारी ममता उमड़ पड़ी है राहुल पर, वो सोच रही है की उस औलाद मिल गई। अब बहुत प्यार करेगी वो राहुल को।
काकी ने राहुल को घर ले जा कर पेट भर के पराठे खिलाए। और पूछा की राहुल तू रहेगा मेरे साथ। राहुल ने कहा तुम मुझे पराठे खिलाओगी रोज़, प्यार भी करोगी मुझे। काकी ने राहुल को अपने गले से लगा लिया। और कहने लगी हां बहुत प्यार से रखूंगी तुझे मैं, मुझे छोड़ के मत जाना तू अब कभी भी।
काकी को तो जैसे सारी दुनिया ही मिल गई थी। जिन की वजह मिल गई थी। अब काकी किसी से भी झगड़ा भी करती। बात बात पे नहीं चिढ़ती। गुस्सा भी नहीं करती है। और अब आम खाने से भी नहीं रोकती किसी को। सबके लिए अपने बगीचे का दरवाजा खोल दिया है काकी ने। अब सब काकी और राहुल को साथ देख कर बहुत खुश होते है। Aam ka ped.
ज़िन्दगी में सबको एक जिने को वजह की ज़रूरत होती है। अगर वजह ना मिले तो इंसान टूट जाता है। कुछ अच्छा नहीं लगता है फिर, लेकिन अगर वहीं वजह मिल जाए तो पूरी ज़िन्दगी बदल जाती है। सब अच्छा लगने लगता है। जैसे काकी और राहुल कि ज़िन्दगी बदल गई। आम का पेड़|