सोमवार, 11 मई 2020

आम का पेड़ | Aam ka ped दिल को छु लेने वाली कहानी!


आम का पेड़ | Aam ka ped दिल को छु लेने वाली कहानी!
आम का पेड़
आम का पेड़ दुलारी काकी के घर में एक बड़ा सा आम का पेड़ है। जिसपे बहुत मीठे मीठे आम लगते है। मगर  दुलारी काकी किसी को भी आम तो दूर पेड़ भी छूने भी देती है। सब बहुत देते है काकी से। 

     हम सब बच्चे मिल कर खेल रहे थे चौक पर, खेलते खेलते सबकी भूख लग आई, सामने मीठे रसीले आम दिख रहे है। लेकिन काकी के डर से उन आम तक पहुंचना नामुमकिन है। 

  अरे! राहुल वहा मत जा, काकी ने देखा तो अच्छा नहीं होगा। लेकिन राहुल को तो भूख में आम के सिवा कुछ नहीं दिख सुन नहीं रहा है। और देखते ही देखते राहुल दीवार कूद के पेड़ पर चढ़ गया। और वही बैठ के मीठे रसीले आम का आनंद लेने लगा। 

    दुलारी काकी सब्जी लेके घर में आई, और देखा कोई बच्चा पेड़ पर बैठा आम खा रहा है। काकी गुस्से में लाल हो गई। आज नहीं छोडूंगी इसे, आने दो नीचे इसके मां- बाप से शिकायत ना की तो मेरा नाम भी दुलारी नहीं। देखो तो ज़रा कैसे मज़े से मेरे आम खा रहा है। जिन आम को आज तक मैंने नहीं तोड़ा उसे हाथ कैसे लगाया उसने। 

    दुलारी काकी की कोई संतान नहीं है। पति भी छोड़ कर चले गए थे। तब से बेचारी अकेले रहती है। इस आम के पेड़ को अपने बच्चे की तरह की पाला है काकी ने। भला कैसे किसी को तोड़ने देंगी वो आम। इसीलिए हमेशा उखड़ी उखड़ी रहती है। कॉलोनी वालो से भी ज्यादा बनती नहीं काकी की। काकी बहुत ही साफ दिल की है। जो भी दिल में होता ह वहीं जुबान पे भी। लोगो को सच सुनने की आदत नहीं होती ना, इसीलिए सब काकी से दूर ही रहना पसंद करते है।

   काकी से रहा नहीं गया, राहुल से कहने लगी अरे लड़के नीचे आ, किससे पूछ के खाने लगा है तू मेरे आम, मां बाप ने कुछ सिखाया नहीं तुझे दूसरो के घर में ऐसे नहीं घुसा करते। राहुल कहने लगा अरी काकी एक दो आम ही खाए है। क्या मरती हो दो आम के लिए। खाने दो ना, लो तुम खाओ बहुत मीठे है। 

 काकी ने पहले राहुल को यहां कभी नहीं देखा था। क्यूंकि वो लोग कुछ दिन पहले ही नए आए थे कॉलोनी में। फिर काकी ने कहा तू नीचे आता है कि नहीं य बुलाऊ तेरी मां को।

मां का नाम सुनते ही राहुल झट से नीचे आ गया। काकी राहुल का काम पकड़ के उसकी मां के पास ले गई। कहने लगी देख री अपने लड़के को मेरे घर में घुस के आम चुरा रहा था। राहुल की मां ने सुनते ही आव देखा ना ताव, रोटी बना रही थी गरम चिमटा राहुल को जोर से मार दिया। 

  राहुल बहुत रोने लगा। अब काकी को बहुत गुस्सा आ गया राहुल की मां पे। काकी ने कहा कैसी मां है रे तू अपनी औलाद को भला कोई ऐसे मारता है। लानत है तुझ पे, तुझे क्यों भगवान ने संतान दी। ममता नहीं है तुझमें, राहुल से पूछा काकी ने, क्यों री रोज़ मरती है क्या तुझे। तुझे प्यार नहीं करती क्या।

    राहुल ने कहा ये पिंकी और रानी की मां है मेरी मां तो ऊपर है भगवान के पास। ये मुझे प्यार क्यूं करेगी। काकी की आंखो में आंसू आ गए। काकी ने राहुल को बोला चल री तू मेरे साथ, और राहुल को अपने साथ बाहर के आई।

     बाहर आने के बाद काकी राहुल से रास्ते में पूछने लगी तू आम क्यों खा रहा था तुझे डर नहीं था कोई देखेगा तो क्या होगा। राहुल ने कहा वो मुझे बासी रोटी देती है। रानी और पिंकी को घी के पराठे देती है। मैं बासी रोटी गाय को खिला देता हूं। कभी ज्यादा भूख लगती है तो थोड़ी बहुत खा लेता हूं। 

    काकी ने कहा चल मेरे साथ म तुझे पराठे खिलाऊंगी। राहुल ने पूछा सच?? आप मुझे खिलाओगी पराठे। काकी बोली हां जो तू कहेगा सब खिलाऊंगी तुझे। आज मानो जैसे काकी की सारी ममता उमड़ पड़ी है राहुल पर, वो सोच रही है की उस औलाद मिल गई। अब बहुत प्यार करेगी वो राहुल को। 

काकी ने राहुल को घर ले जा कर पेट भर के पराठे खिलाए। और पूछा की राहुल तू रहेगा मेरे साथ। राहुल ने कहा तुम मुझे पराठे खिलाओगी रोज़, प्यार भी करोगी मुझे। काकी ने राहुल को अपने गले से लगा लिया। और कहने लगी हां बहुत प्यार से रखूंगी तुझे मैं, मुझे छोड़ के मत जाना तू अब कभी भी।

काकी को तो जैसे सारी दुनिया ही मिल गई थी। जिन की वजह मिल गई थी। अब काकी किसी से भी झगड़ा भी करती। बात बात पे नहीं चिढ़ती। गुस्सा भी नहीं करती है। और अब आम खाने से भी नहीं रोकती किसी को। सबके लिए अपने बगीचे का दरवाजा खोल दिया है काकी ने। अब सब काकी और राहुल को साथ देख कर बहुत खुश होते है। Aam ka ped.

ज़िन्दगी में सबको एक जिने को वजह की ज़रूरत होती है। अगर वजह ना मिले तो इंसान टूट जाता है। कुछ अच्छा नहीं लगता है फिर, लेकिन अगर वहीं वजह मिल जाए तो पूरी ज़िन्दगी बदल जाती है। सब अच्छा लगने लगता है। जैसे काकी और राहुल कि ज़िन्दगी बदल गई। आम का पेड़|

शनिवार, 9 मई 2020

Guru Ka Gyaan | भगवान सब में हैं!


Guru Ka Gyaan
Guru Ka Gyaan

Guru Ka Gyaan किसी गांव में नदी के किनारे एक गुरु का आश्रम था। वहा गुरुजी अपने बहुत सारे शिष्यों के साथ रहते थे। 
गुरुजी के सभी शिष्य बहुत आज्ञाकारी थे। गुरु की किसी बात को नहीं टालते थे। गुरुजी जी काम कहते, उस समय पर पूरा करते थे। 

गुरुजी रोज़ शाम को अपने सभी शिष्यों को एक जगह एकत्रित कर प्रवचन देते थे। रोज़ एक नई बात बताते थे। सभी शिष्य गुरुजी की हर सीख को  सही मान लेते और की सवाल नहीं करते।

परंतु एक शिष्य विचित्र था। उस हमेशा हर बात में कोई ना कोई कमी निकालने की आदत थी। वह हमेशा गुरुजी की बात को काटने का प्रयास करता था। 

एक दिन शाम को जब गुरुजी प्रवचन दे रहे थे तो गुरुजी ने कहा, जब भी हम मुसीबत में होते है तो भगवान हमारी सहायता के लिए जरूर आते है, और हमारे बचाते है।

सभी शिष्य गुरुजी की बात से सहमत थे लेकिन उस एक शिष्य के मन में ये बात अब भी चल रही थी। वह सोच में डूबा हुआ था कि क्या सच में भगवान हमारी सहायता के लिए आते है। उसने फिर फिर से गुरुजी से पूछा। गुरुजी को समझ नहीं आ रहा था कि इसे कैसे समझाया जाए। यह अवश्य किसी ना किसी मुसीबत में पड़ जाएगा। 

लेकिन अब गुरुजी भी क्या करते, वह किसी की बात नहीं सुन रहा था।

सोचते सोचते वह जंगल की ओर निकल पड़ा। वहा बहुत सारे लोग थे। सबने उस रोका आगे मत जाओ, आगे जंगली हाथियों का झुंड है। 

मगर उस कहने का कोई फायदा नहीं। वो उस सब से बोला मुझे भगवान बच लेंगे। और आगे चला गया। 
कुछ ही देर बाद एक हाथी उसके पीछे बहुत तेज़ी से दौड़ा आ रहा था। लोग उसे कह रहे थे सामने से जाओ। ये हाथी तुम्हे मार देगा। लेकिन वो नहीं हटा। और हाथी ने उसे हवा में उछाल दिया।

अब वो अपने इस सवाल का जवाब भगवान से ही मांगना चाहता है। जैसे ही वह भगवान के आपस पहुंचा तो उसने जाते ही भगवान से पूछा की गुरुजी ने कहा था आप सबकी मदद करते है। भगवान जी ने कहा हां, करते है।

तब उसने पूछा आपने मेरी मदद क्यों नहीं की, तब भगवान जी बोले कि मैंने तो कहा था तुम्हे हट जाओ हट जाओ, लेकिन तुम नहीं हटे वहा से। उसने पूछा आपने कब कहा मैंने तो नहीं सुना। 

भगवान जी को उस पर हसी आ गई और बोले सुनो वहा जितने लोग थे वो सब तुमसे कह रहे थे सामने से हट जाओ। तुमने उनकी बात नहीं सुनी। हर चीज में मैं हूं, पेड़ पौधे, जीव जंतु, मनुष्य हर जगह। और उन्हीं के जरिए मैं सबकी मदद करता हूं। 

इसीलिए कहते है किसी कि बात को अनसुना नहीं करना चाहिए क्या पता कौन कब काम आ जाए।Guru Ka Gyaan


मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

एक सैनिक की कहानी ( दिल को छू लेने वाली) | A Soldier's Story in Hindi



A Soldier's Story in Hindi
A Soldier's Story in Hindi

A Soldier's Story in Hindi- एक बार की बात है। देश में जंग को रही थी। सभी बहुत परेशान थे। जितने भी सैनिक सीमा पर देश की रक्षा के रहे थे उनके घरवाले उनके कुशल मंगल होने की दुआ कर रहे थे।

हर सैनिक सोच रहा था कि पता नहीं क्या होगा, अब मैं अपने घरवालों से मिल भी पाऊंगा या नहीं। लेकिन देश की रक्षा तो करनी ही है, देश के लिए शहीद भी होना पड़े तो इससे बड़े गर्व की बात कोई नहीं होगी।

इस सबके बीच एक फौजी एटीएम जाता था रोज़, और 100 रू. निकलता था। एटीएम के पास एक वहीं एक चाय की दुकान थी। चाय वाला रोज़ उस फौजी को देखता। फौजी को ऐसा करते करते एक माह हो गया। 

आज फिर फौजी उसी समय आया और एटीएम में गया पैसे निकलने, 100रू. ही निकले आज भी। आज तो चाय वाले से रहा ही नहीं गया। उसने फौजी को रोका और पूछा कि भाई तुम रोज़ रोज़ क्यों आते हो और सौ रुपए ही क्यों निकलते हो। एक साथ भी तो निकाल सकते हो पैसे। इसके लिए रोज़ अपना वक़्त ज़ाया करने की ज़रूरत है।

फौजी की आंखो में आंसू आ गए। वह ये सब चुप चाप सुन रहा था। चाय वाला बोला बताओ भाई क्या बात है क्यों करते हो तुम ऐसा। 

फौजी ने कहा भैया मैं ऐसा इसीलिए करता हूं क्यूंकि जब मैं एटीएम से रोज़ सौ रुपए निकलता हूं तो मेरे घरवालों से पास बैंक का एक sms जाता है। और उन्हें पता चल जाता है कि मैं ठीक हूं। जिस दिन बैंक का sms उन्हें नहीं मिलेगा उस दिन वो समझ जाएंगे कि मैं अपने देश के लिए शहीद हो गया।

चाय वाले की आंखें भर आई। कहने लगा तुम लोग महान हो। जो अपने घर परिवार से दूर रह के भी देश की रक्षा करते हो। A Soldier's Story in Hindi.

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

जो डर गया वो मर गया | एक डरावनी सच्ची कहानी जो आपके होश उड़ा देगी Bhoot Ki Kahani




Bhoot Ki Kahani मुंबई की गणेश पूजा के चर्चे तो दूर दूर तक फैले है। आज हम गणेश जी को घर में लाए है। अब वो हमारे साथ ११ दिन तक रहेंगे।

तीसरी गली के पार्क में गणेश जागरण हो रहा है। मैं अपने दोस्तो के साथ जागरण में का रहीं हूं। सब मेरा इंतजार कर रहे है। सोचते सोचते कितना वक़्त निकल गया पता ही नहीं चला। मन में गणेश जी के लिए श्रद्धा ही इतनी है एक बार सोचने को लगो तो, उनमें ही खो जाती हूं।

मेरी दोस्त मधु के पैर में चोट लगी है। हम पहुंचते पहुंचते डर हो गई, जागरण शुरू हो चुका था। हमे भी पीछे जगह मिल गई। हम सब साथ में ही बैठे हैं। मधु को उसकी मां ने फोन किया तो मैने अपना फोन देखा। ओह! मैं तो अपना फोन घर पर ही भूल आयी। घर पास में ही ह जा के के आती हूं।

लेकिन रात के २ बजे है, अकेले जाना ठीक नहीं होगा। किसी को साथ ले जाती हूं। सारे दोस्तो ने मना कर दिया। मधु से पूछती हूं, लेकिन उसके पैर में तो चोट लगी है। मैं ही चली जाती हूं। मैं अकेले ही निकल गई वहां से,

रास्ते में तो खुदाई का काम चल रहा है। अब क्या करू, दूसरी गली से जाना पड़ेगा। उस गली को सब भूतिया गली के नाम से जानते है। लेकिन मैं नहीं डरती किसी से भी।

मैं चले जा रही हूं समाने मधु खड़ी है। लेकिन उसने तो आने से मना किया था। पूछती हूं पास जा के, मधु तुमने तो मना किया था ना आने से फिर क्यों चली आई। मधु परेशान दिख रही हो, क्या हुआ बताओ। 

मधु कहने लगी मेरे चाचा की तबीयत बहुत खराब है। मेरे साथ चलो। मेरी मदद करो। मैं उसे देखते है रह गई, और अपने घर आ गई। जल्दी से अपना फोन लिया। पानी पिया और जागरण में जाने के लिए चल पड़ी। मैंने मधु की मदद इसीलिए नहीं की क्योंकि मुझे याद है, मधु के एक ही चाचा थे जो पिछले साल गुजर गए थे। अब कोनसे चाचा आ गए अचानक से। 

मधु अब भी वहीं खड़ी है और मुझे बुला रही है। लेकिन में उसकी बात सुन बिना ही भागी चली जा रही हूं। और जैसे ही जागरण में पहुंची तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। आंखें फटी की फटी रह गई। मधु यहीं बैठी थी। मैंने सबसे पूछा क्या मधु यहां से उठ के गई थी कहीं भी।

सबने मना किया, कहा ये तो एक घंटे से हिली तक नहीं। अब मुझे यकीन हो गया था वो  सच में मधु नहीं थी। गणेश जी की कृपा से आज म बच गई। ऐसी परिस्थिति में भी मैं नहीं घबराई, शायद इसीलिए मैं बच गई। क्योंकि जो डर गया वो तो पहले ही मर गया। Bhoot ki kahani


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रविवार, 26 अप्रैल 2020

Christmas Ka Tohfa | A True Love Story In Hindi




कैली अपने पति जॉर्ज के साथ अपने छोटे से घर में रहती है। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। लेकिन गरीबी से परेशान हो चुके पति पत्नी अपना दुख छिपाते रहते है। और अपने पिछले हसीन पल याद करके खुश हो जाते है।

जॉर्ज को कैली के बालो से बहुत प्यार है। और हो भी क्यों ना उसके बाल है ही इतने खूबसूरत। जब खिड़की से नीचे गिरती है वो अपने बालो को तो ज़मीन छु जाते है। काले घने लंबे बालों से आखिर कौन प्यार नहीं करेगा। 

क्रिसमस आने वाला है। दोनों सोचते है की क्या तोहफा दिया एक दूसरे को। जॉर्ज सुबह जल्दी उठ कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया। कैली अपने बाल संवरती हुई सोच रही है कि क्या तोहफा दिया जाए जॉर्ज को।

कैली के मजबूत बाल से कमजोर कंघी टूट गईं है। लेकिन कैली का सारा ध्यान तोहफे पर है। और उसने सोच ही लिया क्या देना सही होगा जॉर्ज को। वो अपने पुरानी दिन याद करती है। जब हम दोनों कॉलेज में थे तो जॉर्ज को घड़ी पहनने का कितना शौक था। और वेलेंटाइन पे मैंने उसे घड़ी तोहफे में दी थी, वो घड़ी आज भी उसने सम्भाल के रखी है। 

लेकिन अब वो पुरानी हो गई है। उसकी चैन भी टूट सी गई है। दरवाजे पे दस्तक, अरे जॉर्ज आ गए। बैठिए आपके लिए पानी लाती हूं। और दोनों बैठ के बाते करते है। सुबह हुई, कल क्रिसमस है। अभी तक कोई तोहफा नहीं खरीदा है। दोनों घर से निकलते है। 

जॉर्ज ऑफिस चला जाता है। और कैली एक घड़ी की दुकान में जाती है और पूछती है घड़ी की नई चैन कितने में आ जाएगी। दुकानदार ने जवाब दिया 80 पाउंड्स। लेकिन कैली के पास तो सिर्फ 20 पाउंड्स ही है। कैली तोहफे में घड़ी की चैन ही देना चाहती थी। 

जॉर्ज ने देखा था कि कन्घी टूटी हुई है। और अब कैली को अपने बाल संवारने में दिक्कत हो रही है। एक बार कैली और जॉर्ज दोनों घूमने गए थे। तब एक दुकान में कैली को एक कंघी बहुत पसंद आती थी लकिन उस दिन मैं वो खरीद नहीं सका। 

आज तो वहीं दूंगा में उस तोहफे में, बहुत खुश ही जाएगी। जॉर्ज उसी दुकान में जाता है और उस कंघी के दाम पूछता है। वक़्त के साथ मंहगाई भी बढ़ गई। जॉर्ज के पास कंघी खरीदने जितने पैसे नहीं थे। मगर कैली कि तरह वो भी उस वहीं कंघी तोहफे में देना चाहता था। 

दोनों घर आ गए। रात हुई 12 बज गए, अब तोहफे देने के वक़्त था। कैली ने अपना तोहफा दिया और जॉर्ज ने अपना। दोनों एक दूसरे को देखने लगे। 

कैली ने जिस घड़ी के लिए चैन खरीदी थी वो घड़ी जॉर्ज ने बेच दी थी कंघी खरीदने के लिए, और कैली ने चैन खरीदने के लिए अपने बाल बेच दिए थे। दोनों मुस्कुराए और क्रिसमस मनाने लगे। A True Love Story In Hindi


शनिवार, 25 अप्रैल 2020

भूख - Bhookh


Bhookh ( भूूख) A Real Horror Story


Bhookh ( भूूख) A Real Horror Story

गर्मियों के दिन थे जुलाई का महीना और हल्की बारिश, उन दिनों मैं अपने मेडिकल कॉलेज जा रही थी। मैं अपने पापा के साथ कॉलेज पहुंची। मुझे कॉलेज में तो दाखिला मिल गया और अब रहने के लिए हॉस्टल की अर्जी डाली। मुझे हॉस्टल का कमरा नंबर १०१ मिला। जो पिछले कुछ सालों से बन्द था जिसकी मुझे कोई खबर न थी।

अब मैं  हॉस्टल में प्रवेश करने जा रही थी मुझसे किसी ने पूछा कोनसा कमरा मिला है। मैंने बताया कि कमरा नंबर १०१ मिला है। तो मुझे हैरानी से देखने लगे। और मैं आगे बढ़ गई। कॉलेज की पढाई शुरू हो गई थी। मैंने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाया हुआ था। अब तक सब ठीक था।

एक दिन मैं मेस से जल्दी खाना खा के हॉस्टल में आ गई और हॉस्टल में तब कोई भी नहीं था। मैं अपने कमरे में चली गई और जल्दी सो गई। मौसम बहुत खराब था उस दिन, बिजली कड़क रही थी बारिश की छम छम, घोर अंधेरा, हॉस्टल की लाइट भी चली गई थी। बारिश की छम छम में मुझे कुछ और आवाज़ें सुनाई दी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

ऐसा पहली बार हुआ था मेरे साथ, और वो डरावनी रात जैसे तैसे निकल गई। सुबह हुई तो पता चला वार्डन अपने घर चली गई है, सब बहुत खुश थे इस बात से, अब पार्टी होगी हॉस्टल में। कुछ दिन और निकल गए। दीवाली आ गई सब अपने घर जा रहे थे मुझे एक दिन लेट की टिकट मिली। मुझे किसी ने कहा यहां अकेली मत रहना चली जाओ। लेकिन मुझे लगा ऐसे ही बोला होगा और मैं होस्टेल चली आयी खाना भी नहीं मिला था उस दिन क्योंकि मेस के लोग भी दीवाली पर अपने घर चले गए थे।

रात भी बहुत हो गई थी पर मुझे नींद नहीं आ रही थी ऐसा लग रहा था कोई मेरी खामोशी सुन रहा है, कोई है मेरे पास, किसी के पास होने की आहट, एक अजीब सी सरसराहट, मुझे बहुत डर लगने लगा था और डर से ज्यादा भूख लगी थी। मैं अपने बिस्तर पे लेट गई। अचानक दीवार से एक हाथ निकला और मेरा गला पकड़ लिया। मेरी आवाज़ नहीं निकल रही थी। जैसे तैसे पीछे मुड़ के देखा तो वहां कुछ नहीं था।

मुझे न जाने क्या हुआ मैं अपनी भूख सेहन न कर सकी और अपना हाथ खाने लगी। मुझे कुछ नहीं पता क्या हो रहा था मेरे साथ। मैं तीन दिन तक उस कमरे में बन्द रही। जब मेरे घरवाले वहां पहुंचे तो उन्होंने मुझे देखा मेरा आधा हाथ नहीं है। और मेरे मुंह में खून लगा है। वो तुरंत मुझे अस्पताल ले गए। म कुछ दिनों में ठीक हो गई। लेकिन मुझे बहुत बेचैनी सी, मैं जानना चाहती थी आखिर मेरे साथ वो सब क्यों हुआ। और ये पता लगाने मैं निकला गई।

वापस उसी जगह, मेडिकल कॉलेज और उस इंसान को ढूंढा जिसने मुझे कहा कि यह अकेले नहीं रहना। और बहुत ढूंढने के बाद वो मुझे मिला तो मने उससे पूछा कि आपने उस दिन मुझे वो सब क्यों कहा था। उनकी बाते सुन कर म हैरान हो गई। कहने लगे बहुत भग्यशाली हो तुम, किसी देवी का आशीर्वाद है तुमपे। लेकिन मुझे ये सब नहीं सुनना था।

मैं पूछने लगी बताइए क्या है वहा, कोंसी ताक़त है, तब वो मुझे बताने लगे की कुछ साल पहले वहा एक नई वार्डन आयी थी हॉस्टल के बच्चो ने रैगिंग करने के लिए वार्डन को उसी कमरे में बन्द कर दिया जिसमे तुम रही थी। वार्डन बीमार थी बेहोश हो गई किसी को याद नहीं था कि वार्डन वहा बन्द है। जब उसे होश आया तो वह भूखी थी और अपने दोनों हाथ खाने लगी तीन दिन बाद जब कमरा जब खुला तो वहा वार्डन की लाश थी।

सारे बच्चे हॉस्टल छोड़ के चले गए। और उस कमरे को बन्द कर दिया गया। और तुम्हारे साथ भी वैसा ही हुआ लेकिन शायद वार्डन कि आत्मा अच्छी थी जो उसने तुम्हे छोड़ दिया और नया जीवनदान दिया। उसके आत्मा की शांति के लिए उनलोगो से माफी मांगने को कह सकती हो जिन्होंने उस बेचारी की जन के ली। क्या पता इससे उसकी आत्मा को शांति मिल जाए।

अब वहा से उन लोगो को ढूंढने निकल पड़ी। जल्द ही सबसे मिल कर सारी बात बताई और माफी मांगने को कहा। सब राज़ी हो गए। और शायद वार्डन कि आत्मा को शंति भी मिल गई। आज में उसी हॉस्टल में वार्डन हूं और उसी कमरे में रहती हूं। अब मुझे ऐसा कभी किसी के होने का एहसान नहीं हुआ। और अब भूख लगने पर खाना खाती हूं।

तो friends कैसी लगी आपको आज की ये स्टोरी Bhookh ( भूूख) A Real Horror Story, ऐसी और भी Interesting Story के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

बुधवार, 26 सितंबर 2018

महिलाएं श्मशान क्यों नहीं जाती

हेलो फ्रेंड्स

मैं आनंद आज फिर से आप सब का स्वागत करता हूं और आज मैं लेकर आया हूं आप सब के लिए कुछ नया कुछ खास और कुछ इंटरेस्टिंग लेकर रोज की तरह ,तो चलिए ज्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए स्टार्ट करते हैं


दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कि क्यों सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता और महिलाएं क्यों शमशान नहीं जाते दोस्तों आप सब जानते हैं कि हिंदू धर्म मैं ना जाने कितने ही रिती रिवाज और परंपराएं आपको बताना चाहूंगा कि इंसान के जन्म लेने से उनकी मृत्यु तक 16 संस्कार होते हैं और आखरी संस्कार को हम अंतिम संस्कार कहते हैं दोस्तों गरुड़ पुराण मैं हमें अंतिम संस्कार से जुड़े कई जानकारियां मिल जाएंगे जिसमें यह भी बताया गया है कि किसी मनुष्य के अंतिम संस्कार के 13 दिन के छूत के बाद घर का शुद्धिकरण किया जाता है!


दोस्तों आप लोगों ने देखा होगा कि कभी सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता इतना ही नहीं छेद वाले मटके में जल भरकर परिक्रमा क्यों की जाती है इन सब सवालों का जवाब मैं आपको आज इस पोस्ट में देने वाला हूं तो इन सभी जानकारी के लिए आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें गरुड़ पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाता क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को परलोक में कष्ट भोगना पड़ता है और यह भी माना जाता है कि अगले जन्म मैं उसे किसी अंग में दोष हो सकता है इसीलिए हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता है! किसी की मृत्यु अगर रात के वक्त हो जाती है तो उसका दाह संस्कार अगली सुबह ही किया जाता है !


दोस्तों अगर आप लोगों ने कभी ध्यान दिया होगा तो आप लोगों ने देखा होगा कि छेद वाली मटकी में जल भरकर शब की परिक्रमा की जाती है और फिर मटके को पटक कर तोड़ दिया जाता है क्या आपने कभी सोचा ऐसा क्यों किया जाता है तो चलिए मैं आपको बताता हूं गरुड़ पुराण के अनुसार माना चाहता है कि ऐसा करके मृतक के शरीर से आत्मा का मोह भंग किया जाता है और यह भी माना जाता है कि मनुष्य का जीवन इस मटकी की तरह मृत होता है जिस में भरा पानी हमारा समय होता है इसका मतलब है कि या आयु रूपी पानी हर पल टपकता रहता है और अंत में मनुष्य सब कुछ छोड़कर परमात्मा के पास चला जाता है!


देखा होगा की अंतिम संस्कार में महिलाएं शामिल नहीं होती ऐसा क्यों किया जाता है आपके दिमाग में यह सवाल जरूर आया होगा तो चले दोस्तों मैं आपको बता दूं गरुड़ पुराण के अनुसार अंतिम संस्कार का वक्त हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा होता है जहां औरतों का जाना सख़्त मना होता है अंतिम संस्कार के बाद पूरे घर के सफाई की जाती है जिससे नकारात्मक शक्ति घर मैं प्रवेश ना करें इसीलिए घर के कामों के लिए महिलाओं को घर पर रखा जाता है!


माना जाता है कि भूत प्रेत सबसे पहले महिलाओं को ही अपना निशाना बनाते हैं इसीलिए महिलाओं को शमशान नहीं ले जाया जाता हिंदू रिवाज के अनुसार जो भी व्यक्ति अंतिम संस्कार में जाता है उसे अपना बाल मुंडवा ना पड़ता है एवं गंजापन महिलाओं और लड़कियों को नहीं सुहाता इसलिए लड़कियों को अंतिम संस्कार में नहीं ले जाता  भी कहा जाता है कि महिलाएं बहुत नरम दिल की होती है वह किसी अपने की बिछड़ने के बाद अपना रोना रोक नहीं पाती और ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती मृतक की आत्मा की शांति के लिए महिलाओं को शमशान नहीं ले जाया जाता!

 तो दोस्तों इसी तरह की और भी इंटरेस्टिंग जानकारी के लिए हमारे ब्लॉक से जुड़े रहें