सोमवार, 27 अप्रैल 2020

जो डर गया वो मर गया | एक डरावनी सच्ची कहानी जो आपके होश उड़ा देगी Bhoot Ki Kahani




Bhoot Ki Kahani मुंबई की गणेश पूजा के चर्चे तो दूर दूर तक फैले है। आज हम गणेश जी को घर में लाए है। अब वो हमारे साथ ११ दिन तक रहेंगे।

तीसरी गली के पार्क में गणेश जागरण हो रहा है। मैं अपने दोस्तो के साथ जागरण में का रहीं हूं। सब मेरा इंतजार कर रहे है। सोचते सोचते कितना वक़्त निकल गया पता ही नहीं चला। मन में गणेश जी के लिए श्रद्धा ही इतनी है एक बार सोचने को लगो तो, उनमें ही खो जाती हूं।

मेरी दोस्त मधु के पैर में चोट लगी है। हम पहुंचते पहुंचते डर हो गई, जागरण शुरू हो चुका था। हमे भी पीछे जगह मिल गई। हम सब साथ में ही बैठे हैं। मधु को उसकी मां ने फोन किया तो मैने अपना फोन देखा। ओह! मैं तो अपना फोन घर पर ही भूल आयी। घर पास में ही ह जा के के आती हूं।

लेकिन रात के २ बजे है, अकेले जाना ठीक नहीं होगा। किसी को साथ ले जाती हूं। सारे दोस्तो ने मना कर दिया। मधु से पूछती हूं, लेकिन उसके पैर में तो चोट लगी है। मैं ही चली जाती हूं। मैं अकेले ही निकल गई वहां से,

रास्ते में तो खुदाई का काम चल रहा है। अब क्या करू, दूसरी गली से जाना पड़ेगा। उस गली को सब भूतिया गली के नाम से जानते है। लेकिन मैं नहीं डरती किसी से भी।

मैं चले जा रही हूं समाने मधु खड़ी है। लेकिन उसने तो आने से मना किया था। पूछती हूं पास जा के, मधु तुमने तो मना किया था ना आने से फिर क्यों चली आई। मधु परेशान दिख रही हो, क्या हुआ बताओ। 

मधु कहने लगी मेरे चाचा की तबीयत बहुत खराब है। मेरे साथ चलो। मेरी मदद करो। मैं उसे देखते है रह गई, और अपने घर आ गई। जल्दी से अपना फोन लिया। पानी पिया और जागरण में जाने के लिए चल पड़ी। मैंने मधु की मदद इसीलिए नहीं की क्योंकि मुझे याद है, मधु के एक ही चाचा थे जो पिछले साल गुजर गए थे। अब कोनसे चाचा आ गए अचानक से। 

मधु अब भी वहीं खड़ी है और मुझे बुला रही है। लेकिन में उसकी बात सुन बिना ही भागी चली जा रही हूं। और जैसे ही जागरण में पहुंची तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। आंखें फटी की फटी रह गई। मधु यहीं बैठी थी। मैंने सबसे पूछा क्या मधु यहां से उठ के गई थी कहीं भी।

सबने मना किया, कहा ये तो एक घंटे से हिली तक नहीं। अब मुझे यकीन हो गया था वो  सच में मधु नहीं थी। गणेश जी की कृपा से आज म बच गई। ऐसी परिस्थिति में भी मैं नहीं घबराई, शायद इसीलिए मैं बच गई। क्योंकि जो डर गया वो तो पहले ही मर गया। Bhoot ki kahani


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